Monday, January 30, 2012

चिकनी चमेली गाने का अर्थ


अभी मुन्नी की बदनामी और शीला की जवानी की आग की गर्मी अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थी की पुरूषों की उत्तेजना इन्द्रियों पर अपने पल्लू से ढलकते यौवन को लेकर दस्तक देने अ गयी है चिकनी चमेली| यूँ तो बहन चमेली की चिकनाहट के किस्से आज समूचे भारत के बच्चे, नौजवान एवं बूढ़े की लपलपाती जुबां पर हैं परन्तु फिर भी आज हम अनुच्छेद दर अनुच्छेद बहन चमेली के द्वि अर्थीय शब्दों एवं उनके तात्पर्यों का व्याख्यान करेंगे|

 बिछु ये रे नैना 
बड़ी ज़हरीली आंख मारे
कमसिन कमरिया साली
एक ठुमके से लाख मारे 

 यहाँ बहन चमेली अपने नैना और कमर का वर्णन करते हुए बताती हैं की वो दोनों बहुत ही खतरनाक एवं जानलेवा हैं| जहां एक ओर उनकी आँखें बिच्छु जैसी ज़हर उगलती हैं वहीँ उनकी कमसिन कमर का मात्र एक ठुमका ही एक बार में लाख आदमियों को ढेर कर देता है| यहाँ पर बहन चमेली के आक्रामक एवं हिंसात्मक रूप के दर्शन होते हैं| दुसरे शब्दों में कहा जाए तो बहन चमेली अपनी चौबीस इंची की कमरिया को किसी परमाणु अस्त्र से कम नहीं आंकती| परन्तु यहाँ पर अतिश्योक्ति यह है की बहन चमेली अपनी कमर को नाज़ुक बताने के बावजूद भी लाख लोगों को मार गिराने का हवाई दावा कैसे ठोक रही हैं| ध्यान देने वाली बात यह भी है की शुरुवात में वह अपनी कमर को साली कहकर संबोधित कर रही हैं| उनके इस कथन से पाठक पल क्षण भर क लिए गुमराह ज़रूर हो जाता है ओर उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे बहन चमेली कमर के दर्द से त्रस्त हैं|


 नोट हज़ारों के खुल्ले छुट्टे कराने आई 
हुस्न की तीली से बीडी चिल्लम जलाने आई 

  अब बहन चमेली पाठक को अपनी सेवाओं से अवगत करवाती हैं| वह कहती हैं की अब किसी भी पुरुष को हज़ार के छुट्टे करवाने के लिए किसी के आगे हाथ फैलाने की आवश्यकता नहीं है क्यूंकि उनके पास पांच दस पचास सौ और पांच सौ के नोटों का भण्डार भरा हुआ है | इसका अर्थ यह हुआ की बहन चमेली एक ऐसा चलता फिरता ऐ टी एम् हैं जिसमें कोई भी व्यक्ति हज़ार का नोट डालकर अपनी मनचाही मूल्यवर्ग के नोट निकाल सकता है| वह आगे बताती हैं की उनका हुस्न किसी जलती तीली सा गरम है और धूम्रपान के आदि पुरुष अपनी तलब उनके हुस्न से बुझा सकते हैं|  
 आई चिकनी चमेली 
छुपके अकेली
पहुआ चढ़ा के आई 

यहाँ पर बहन चमेली आत्मा प्रशंसा की पराकाष्ठा पर चढ़कर स्वयं को चिकनी नाम से संबोधित करती हैं| उनके कहने का तात्पर्य यह है की उनका बदन इतना फिसलन भरा है की कोई भी शरीफ आदमी उसपर बिना फिसले चल नहीं सकता| वह अब पाठक के समक्ष एक और खुलासा करती हैं कि वह अपने बाप एवं भाइयों को घर पर सोता छोड़ मदिरा के नशे में धुत्त होकर बिलकुल अकेली आई हैं| अब यहाँ पर पाठक के मन में बहन चमेली के चाल चलन को लेकर तनिक संदेह उठता है|आखिर किसी भी इज्ज़तदार घर की लड़की मदिरा सेवन करके कहीं भी अकेले क्यूँ जाएगी|

जंगले में आज मंगल करुँगी 
भूखे शेरों से खेलूंगी मैं 
मक्खन जैसी हथेली पे जलते  
अंगारे ले लुंगी मैं 

इन पंक्तियों के माध्यम से बहन चमेली अपने व्यक्तित्व का खूंखार एवं निडर पहलु उजागर करती हैं| वह अपनी भविष्य की गतिविधियों की अति संवेदनशील एवं व्यक्तिगत जानकारी पाठक के साथ बाँटती हैं| वह यहाँ कई बातों को कोड वर्ड में समझाने का प्रयत्न करती मालूम पड़ती हैं| अगर उनके शब्दों की गहराई में उतरा जाए और परतों को उधेडा जाए तो बड़े बेचैन और हैरान करने वाले तथ्य सामने आते हैं| जंगले से उनका तात्पर्य एक ऐसी एकांत जगह से है जहां परिंदे भी पर न मारते हों जैसे घर के बेडरूम या किसी पार्क का कोई सुनसान कोना| वह आगे बताती हैं की ऐसी किसी जगह पर वो कोई ऐसी क्रिया करने वाली हैं जिस से सभी को परम सुख की प्राप्ति होगी| अगली पंक्ति में वह भूखे शेरों के साथ खेलने की बात करती हैं| दरसल यहाँ पर भूखे शेरों को ऐसे पुरुषों के सन्दर्भ में प्रयोग किया गया है जिनकी कामेच्छाएं अपने चरम पर होने के बावजूद अतृप्त हैं| आगे वह अपनी हथेली की नरमाहट को मक्खन के समान बताते हुए उस पर बड़ी ही निडरता से धधकते अंगारे लेने की बात करती हैं| अब बहन चमेली जवानी के जोश में इस तरह का पागलपन क्यूँ कर रही हैं यह तो बहन चमेली ही जानें|



गहरे पानी की मछली हूँ राजा
घाट घाट दरिया में घूमी हूँ मैं 
तेरी नज़रों की लहरों से हारकर आज डूबी हूँ मैं 

 यहाँ पर पाठक को बहन चमेली के अदभुत अनुभव की झलक देखने को मिलती है| वह कहती हैं की वह एक गहरे पानी की मछली हैं और बहुत से घाटों पर घूमी हैं अर्थात उन्होंने हर चीज़ का काफी नीचे तक अध्ययन किया है | उक्त पंक्तियों में बहन चमेली के गहराइयों के अनुभव वाकई में प्रशंसनीय हैं| परन्तु अब वह कहती हैं कि आज वह किसी कि तालाब जैसी आँखों में हारकर डूब गयी| यह कथन पाठक को थोड़ी उलझन में दाल देता है क्यूंकि मछली का पानी में डूब जाना एक अपाच्य बात है| 

जानलेवा जलवा है
देखने में हलवा है
प्यार से परोस दूंगी
टूट ले ज़रा
यह तो ट्रेलर है
पूरी फिल्लम दिखाने आई 

अब बहन चमेली पाठक को सत्य तथा भ्रान्ति के बीच का अंतर समझाते हुए कहती है कि जो दिखता है वह असल में होता नहीं है| जैसे उनके सौंदर्य का जलवा जो देखने में हलवे जैसा अर्थात खाने में मीठा नरम और आसान है असल में उतना ही कठिन सख्त एवं जानलेवा है व उसके दर्शन करना इतना सरल नहीं जितना प्रतीत होता है | परन्तु आखिर बहन चमेली भी आखिरकार एक नारी हैं और उनके ह्रदय में भी प्रेम का एक असीम सागर बहता है| शायद इसीलिए अब वह पाठक को प्रेरित करते हुए कहती हैं की वह उनके मक्खन जैसे हाथों से परोसे गए अद्वितीय सौंदर्य के गरमा गरम हलवे पर टूट पड़ने में ज़रा भी विलम्ब न करे| वह एक बार फिर से पाठक को सांकेतिक भाषा में समझाने की कोशिश करती हैं कि जो वह देख और समझ रहा है वह तो उनका केवल एक छोटा सा ट्रेलर है| बहन चमेली तो आज पूरी फिल्म दिखाने का पक्का निश्चय करके आई हैं| हम आशा करते हैं कि यह फिल्म थ्री डी और सी डी में भी उपलब्ध होगी|

बंजर बस्ती में आई है मस्ती
ऐसा नमकीन चेहरा तेरा 
मेरी नीयत पर चेह्के छूटे न है रंग गहरा तेरा 

यहाँ बहन चमेली अपने पाठक की प्रशंसा करते हुए कहती हैं की उसकी नमकीन शक्ल पर इतना तेज और रौनक है जैसे किसी बंजर और बदरंग पड़ी बस्ती में एकाएक चहल पहल और हर्षोल्लास का आगमन हुआ हो| अपनी प्रेम गगरी पाठक पर उड़ेलते हुए वह आगे कहती हैं की उनकी नीयत पर उसका गहरा रंग चढ़ चूका है और अब वह पूर्णतः पाठक के रंग में रंगी हुयी हैं| इसका अर्थ यह निकल कर आता है कि अब पाठक बहन चमेली से कुछ भी मांग सकता है और कुछ भी करवा सकता है|  

जोबन यह मेरा कैंची है राजा
सारे पर्दों को काटूँगी मैं 
शामें मेरी अकेली हैं आजा
संग तेरे बाटूंगी मैं 

बहन चमेली अब अपने जोबन यानी जवानी की तुलना कैंची से करते हुए कहती हैं की जिस प्रकार एक कैंची अपनी दो टांगों के बीच में आने वाली हर वस्तू को क़तर देती है ठीक उसी प्रकार उनका यौवन भी अत्यंत तीखा एवं पैना है तथा उसके बीच में आने वाले हर परदे को तुरंत काट दिया जाएगा| अपने इस कथन से बहन चमेली के बोल्ड एवं बिंदास चरित्र के बारे में जानकारी मिलती है और उनके हर परदे को नष्ट करने की आतुरता देख कर हमें यह मालूम पड़ता है कि वह  लज्जा के पर्दों की जगह खुलेपन में काफी विश्वास रखती हैं| आगे बहन चमेली अपने पाठक को बताती हैं की शाम के समय उनके घर पर कोई नहीं होता और वह एकदम अकेली होती हैं| वह कहती हैं कि उनके लिए लिए अब अपनी शामें अकेली काटना काफी कठिन हो चला है इसीलिए वह पाठक को शामें बांटने के नाम पर अपने घर आने का एक खुला निमंत्रण देती हैं| परन्तु बहन चमेली के रंगीन चरित्र से परिचित व्यक्ति यह भली भाँती समझ जाते हैं कि बहन चमेली उनके साथ क्या बांटने की बात कर रही हैं|    


बातों में इशारा है
जिसमें खेल सारा है
तोड के तिजोरियों को लूट ले ज़रा 
चूम के ज़ख्मों को थोडा मलहम लगाने आई 

अपने अंतिम वक्तव्य में बहन चमेली अब एकदम स्पष्ट कर देती हैं कि उनकी बातें द्वि अर्थीय एवं इशारों से भरी हुई हैं| जो व्यक्ति उनके संकेतों को समझने में सफल हो गया वही बहन चमेली के इस हसीं खेल का विजेता है| अब विजेता को क्या ईनाम मिलेगा इस बात का अनुमान तो पाठक स्वयं ही लगा सकते हैं| आगे की पंक्तियों  में बहन चमेली संकोच के सभी दुपट्टे नीचे सरका कर पाठक को साड़ी तिजोरियों को  तोड़ कर सब कुछ लूट लेने के लिए उकसाती हैं| यहाँ पर स्वाभाविक ही मुझे एक कथन याद आता है जिसमें एक अकेली लड़की को खुली तिजोरी के बराबर बताया गया है| बहन चमेली इस कथन से प्रेरणा लेते हुए पाठक को आगे बढ़कर तिजोरी को लूटने का इशारा करती हैं| अंतिम पंक्ति में बहन चमेली शर्म के सभी दुपट्टों को नीचे सरकाते हुए दो टूक बात में यह साफ़ कर देती हैं की उनके होंठ एक अचूक औषधि के समान हैं और किसी भी चोट वाले स्थान पर उन्हें अगर लगाया जाए तो दर्द से तुरंत आराम मिलता है | कितनी उदार व दयावान हैं बहन चमेली की किसी भी पुरुष की पीड़ा देखकर उनका ह्रदय पसीज जाता है और वह उस के पीड़ा स्थान पर अपने फूल से कोमल होंठ लगाकर उसे ठीक कर देती हैं|  

हम आशा करते हैं कि बहन चमेली की चिकनाहट सदैव बनी रहे और सौंदर्य की जो अद्भुत मशाल उन्होंने जलाई है उसकी आग पुरुषों में कभी भी ठंडी न पड़े|   

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